परिसीमन से जुड़ी हर बात। All About Parisiman or Delimitation: Everything You Need to Know

परिसीमन से जुड़ी हर बात। All About Parisiman or Delimitation: Everything You Need to Know

परिसीमन (Parisiman or Delimitation) मतदाताओं का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए चुनावी सीमाओं को फिर से परिभाषित करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। 

इस लेख में परिसीमन क्या है, इसके ऐतिहासिक संदर्भ, परिसीमन आयोग (parisiman aayog or delimitation commission ) की भूमिका, फायदे और नुकसान, निर्वाचन क्षेत्र के परिसीमन के महत्व और परिसीमन आयोग को अधिक स्वतंत्रता देने के कारणों पर गौर करेंगे।

साथ ही साथ 2026 तक परिसीमन को टालने की पड़ताल और 2026 में आगामी परिसीमन का विश्लेषण भी करेंगे।

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Table of Contents

परिसीमन क्या है और इसे भारत में क्यों किया जा रहा है? Parisiman kya hota hai or what is delimitation meaning in hindi?

भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) के मुताबिक परिसीमन (Parisiman or Delimitation in hindi) का शाब्दिक अर्थ या परिभाषा है किसी देश या प्रांत में विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की क्रिया या प्रक्रिया।

परिसीमन, मतदाताओं के लिए समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए चुनावी निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं (boundaries of electoral constituencies) को फिर से परिभाषित करने की प्रक्रिया है। यह जनसंख्या वितरण में परिवर्तन को समायोजित करने, ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के सिद्धांत को बनाए रखने और जनसांख्यिकीय बदलाव के कारण असंतुलन को दूर करने के लिए किया जाता है।

परिसीमन प्रक्रिया (delimitation process) किए जाने पर लोकसभा में विभिन्न राज्यों को आवंटित सीटों की संख्या और किसी राज्य की विधान सभा में कुल सीटों की संख्या भी बदल सकती है। जो हाल की जनगणना पर आधारित होता है। परिसीमन (delimitation) करने वाली संस्था को परिसीमन आयोग (Parisiman aayog or delimitation commission) कहा जाता है।

कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में काफी बड़ी या छोटी आबादी है, परिसीमन का उद्देश्य निष्पक्ष प्रतिनिधित्व के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखना है और दुर्भावना को रोकना है।

भारत में परिसीमन का संक्षिप्त इतिहास। A Brief History of Delimitation or Parisiman in India

भारत में परिसीमन (delimitation) के इतिहास का पता स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षों से लगाया जा सकता है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 (Anuchchhed 82 or Article 82 in hindi) के तहत, प्रत्येक जनगणना के बाद संसद एक परिसीमन अधिनियम (Parisiman Adhiniyam or Delimitation Act बनाती है और परिसीमन आयोग का गठन होता है ।

अनुच्छेद 170 (Anuchchhed 170 or Article 170 in hindi) के अनुसार, राज्यों को प्रत्येक जनगणना के बाद परिसीमन अधिनियम Delimitation Act के अनुसार निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन और सीटों का आवंटन किया जाना चाहिए। 

अब तक भारत में 4 बार परिसीमन आयोग का गठन किया जा चुका है।

  •  वर्ष 1952 में परिसीमन आयोग अधिनियम 1952के अधीन;
  • वर्ष 1963 में परिसीमन आयोग अधिनियम 1962 के अधीन;
  • वर्ष 1973 में परिसीमन अधिनियम 1972 के अधीन;
  • वर्ष 2002 में परिसीमन अधिनियम 2002 के अधीन।

पहला परिसीमन आयोग राष्ट्रपति द्वारा चुनाव आयोग की मदद से किया गया था और तब से जनसंख्या परिवर्तन के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों को समायोजित करने और आनुपातिक प्रतिनिधित्व बनाए रखने के लिए देश में कई परिसीमन अभ्यास आयोजित किए गए हैं।

ये सारी प्रक्रिया समान राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने और राजनीतिक उपेक्षा को रोकने में महत्वपूर्ण रही हैं।

परिसीमन आयोग क्या है और इसका गठन क्यों किया जाता है? What is Parisiman Aayog or Delimitation Commission of India and Why is it Formed?

परिसीमन आयोग (delimitation commission in hindi or Parisiman Aayog) एक उच्चाधिकार निकाय है, जिसे भारत में परिसीमन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए गठित किया जाता है।

इसका गठन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है और इसमें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त अन्य सदस्यों के साथ अध्यक्ष के रूप में सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश शामिल होते हैं।

यह आयोग स्वतंत्र रूप से संचालित होता है और निष्पक्ष रूप से चुनावी सीमाओं (delimitation of constituencies) को फिर से परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परिसीमन आयोग यह सुनिश्चित करता है कि परिसीमन प्रक्रिया (delimitation process) राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रहे और निष्पक्षता के सिद्धांतों को बनाये रखे।

परिसीमन आयोग की शक्ति। Power of Parisiman Aayog or Delimitation Commission Power:

परिसीमन आयोग या सीमा आयोग (parisiman aayog or seema aayog) भारत में एक उच्चाधिकारनिकाय है जिसके आदेशों को कानून के तहत जारी किया जाता है और इन्हें किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।

भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) के अनुसार, इस संबंध में सारे आदेश भारत के राष्ट्रपति द्वारा निर्दिष्ट तारीख से लागू होते हैं। इसके आदेशों की प्रतियां संबंधित लोक सभा और राज्य विधानसभा के सदन के समक्ष रखी जाती हैं लेकिन उनमें उनके द्वारा कोई संशोधन करने की अनुमति नहीं होती है।

परिसीमन आयोग को अधिक स्वतंत्रता और शक्ति देने के कारण। Reasons for giving more independence and power to the Delimitation Commission:

परिसीमन प्रक्रिया की अखंडता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) को अधिक स्वतंत्रता देना महत्वपूर्ण है।

परिसीमन आयोग को निष्पक्ष निर्णय लेने के लिए स्वतंत्रता इसे राजनीतिक विचारों से मुक्त रखने के लिए आवश्यक है, जिससे समान प्रतिनिधित्व के लोकतांत्रिक आदर्शों को बनाए रखा जा सके और सभी राज्यों को समान अवसर मिल सके।

परिसीमन आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित करके, राजनीतिक प्रभाव को कम किया जा सकता है, और जनसंख्या की गतिशीलता के आधार पर सीमाओं को निष्पक्ष रूप से फिर से तैयार किया जा सकता है।

निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन और इसका महत्व। Delimitation of constituencies and its importance:

निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए एक क्षेत्र को छोटी चुनावी इकाइयों में विभाजित करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि विभिन्न क्षेत्रों के मतदाताओं को अपने प्रतिनिधियों को चुनने में समान अधिकार प्राप्त हो।

यह प्रक्रिया जनसंख्या, भौगोलिक विशेषताओं, प्रशासनिक सुविधा और किसी क्षेत्र के सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान में रख कर की जाति है।

राष्ट्र के लोकतंत्र को बनाए रखने और जनसंख्या के भीतर विभिन्न समूहों को एक आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए निर्वाचन क्षेत्रों का समय-समय पर परिसीमन (delimitation) आवश्यक है।

परिसीमन के सकारात्मक पक्ष और नकारात्मक पक्ष। Positives and Negatives of Delimitation of constituencies:

परिसीमन के फायदे और नुकसान को संक्षेप में प्रस्तुत करने वाली एक तालिका यहां दी गई है:

लाभ नुकसान
बेहतर प्रतिनिधित्व
राजनीतिक हेरफेर
बढ़ी हुई जवाबदेही
लागत
संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग
जटिलता
जनसंख्या असमानता को संबोधित करना
चुनावी प्रक्रिया में व्यवधान

परिसीमन के फायदे और नुकसान दोनों हैं जिनका विश्लेषण नीचे विस्तार से किया गया है:

परिसीमन के लाभ। Benefits of Delimitation.

  • बेहतर प्रतिनिधित्व (better representation): परिसीमन भारतीय संसद में विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। क्योंकि इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाता है कि निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं को फिर से बनाते वक्त प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की लगभग समान संख्या हो। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि राजनीतिक प्रक्रिया में सभी मतदाताओं की निष्पक्ष राय हो।
  • बढ़ी हुई जवाबदेही (increased accountability): परिसीमन निर्वाचित प्रतिनिधियों की जवाबदेही बढ़ाने में भी मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस प्रक्रिया से छोटे निर्वाचन क्षेत्रों का निर्माण हो सकता है, जिससे मतदाताओं के लिए अपने प्रतिनिधियों से संपर्क करना और उन्हें अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराना आसान हो सकता है।
  • संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग (Efficient use of resources): परिसीमन चुनावी प्रक्रिया की दक्षता में सुधार करने में भी मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस प्रक्रिया से अधिक कॉम्पैक्ट निर्वाचन क्षेत्रों का निर्माण हो सकता है, जिससे चुनाव अधिकारियों के लिए चुनाव आयोजित करना और संचालन करना आसान हो सकता है।
  • जनसंख्या असमानता को संबोधित करना (Addressing Population Inequality): अलग-अलग राज्यों के बीच जनसंख्या में असमानता भारतीय राजनीति में एक प्रमुख मुद्दा है। परिसीमन बदलती जनसंख्या जनसांख्यिकी (population demographics)को दर्शाने के लिए लोकसभा में सीटों के पुनर्वितरण द्वारा इस मुद्दे को हल करने में मदद कर सकता है। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि राजनीतिक प्रक्रिया में भारत के सभी क्षेत्रों की निष्पक्ष राय हो।

परिसीमन के नुकसान। Disadvantages of Delimitation or Parisiman:

  • राजनीतिक हेरफेर (political manipulation): परिसीमन का उपयोग राजनीतिक हेरफेर के लिए किया जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस प्रक्रिया का उपयोग निर्वाचन क्षेत्रों को इस तरह से बांटने या बनाने के लिए किया जा सकता है जो एक राजनीतिक दल या समूह को फायदा पहुंचाता हो।
  • लागत (Cost): परिसीमन एक महंगी प्रक्रिया हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें बड़ी मात्रा में डेटा के संग्रह और विश्लेषण की आवश्यकता होती है, साथ ही साथ निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का पुनर्निर्धारण भी होता है।
  • जटिलता (Complexity): परिसीमन एक जटिल और तकनीकी प्रक्रिया है। इससे यह सुनिश्चित करना मुश्किल हो सकता है कि प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो।
  • चुनावी प्रक्रिया में व्यवधान (interference with the electoral process): परिसीमन चुनावी प्रक्रिया को बाधित कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इससे निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं में परिवर्तन हो सकता है, जिससे मतदाताओं के लिए यह जानना मुश्किल हो सकता है कि उन्हें कहां मतदान करना है।

वर्ष 2002 में परिसीमन आयोग का गठन क्यों नहीं किया गया? Why Delimitation Commission was not constituted in 2002?

परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) का गठन 2002 में हुआ था, लेकिन वह अपना काम पूरा नहीं कर पाया। भारत के संविधान में 84वां संशोधन, जो 2002 में पारित किया गया था, ने वर्ष 2026 के बाद की पहली जनगणना के बाद तक निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर रोक लगा दी थी। 

यह निर्णय परिसीमन प्रक्रिया को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने से रोकने और निष्पक्षता की चिंता (concern for fairness) के मद्देनजर किया गया था। इस निर्णय के कई परिणाम हुए, जैसे: 

  • सबसे पहले, इसने ऐसी स्थिति पैदा की है जहां लोकसभा में सीटों की संख्या भारत की बदलती जनसंख्या को प्रतिबिंबित नहीं करती है।
  • दूसरा, इसने नए राजनीतिक दलों के लिए उभरना और चुनावी प्रणाली में पैर जमाना कठिन बना दिया है।
  • तीसरा, इसने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जहां कुछ निर्वाचन क्षेत्र अन्य की तुलना में बहुत बड़े हैं, जिससे मतदाताओं के लिए अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को जवाबदेह ठहराना मुश्किल हो सकता है।

अगला परिसीमन आयोग 2026 की जनगणना के बाद गठित होने वाला है और इस पर सबकी नजर टिकी है कि आगामी सरकार, परिसीमन के साथ आगे बढ़ने का फैसला करेगी या नहीं।

भारतीय राजनीति पर 2026 परिसीमन आयोग के संभावित प्रभाव। Possible impact of 2026 Delimitation Commission on Indian politics:

वर्ष 2026 में होने वाले परिसीमन में भारतीय राजनीति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की क्षमता है। इस प्रक्रिया से लोकसभा में सीटों का पुनर्वितरण हो सकता है, जिसका विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच शक्ति संतुलन पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

परिसीमन से चुनाव कराने के तरीके में भी बदलाव हो सकता है, जिससे कुछ राजनीतिक दलों के लिए चुनाव जीतना मुश्किल हो सकता है और कुछ के लिए आसान ।

इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण भारत और उत्तर भारत के बीच जनसंख्या में असमानता भी एक प्रमुख मुद्दा है जो परिसीमन से प्रभावित हो सकता है।

यदि परिसीमन प्रक्रिया को निष्पक्ष रूप से नहीं किया गया, तो इससे ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है, जहां दक्षिण भारत के मतदाताओं की आवाज उत्तर भारत के मतदाताओं की आवाज में दब जाएगी।

भारत में नीतियां बनाने के तरीके पर इसका बड़ा प्रभाव हो सकता है, क्योंकि इससे ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है जहां दक्षिण भारत में मतदाताओं की जरूरतों को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया जा सकता है।

कुल मिलाकर भारत में 2026 में होने वाला परिसीमन एक जटिल और विवादास्पद मुद्दा हो सकता है। इस प्रक्रिया के कई संभावित फायदे और नुकसान हैं, और आगे बढ़ने या न करने के बारे में निर्णय लेने से पहले इन सभी कारकों पर सावधानीपूर्वक विचार करना महत्वपूर्ण है।

Conclusion:

परिसीमन (Parisiman or Delimitation) भारत देश के लिए एक आवश्यक प्रक्रिया है ताकि निष्पक्ष और आनुपातिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व (fair and proportional political representation) बना रहे।

इसमें जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के आधार पर चुनावी सीमाओं को फिर से परिभाषित करना (redrawing electoral boundaries based on demographic changes), समान मतदान शक्ति (equal voting power) और समान राजनीतिक प्रतिनिधित्व (equitable political representation) सुनिश्चित करना शामिल है।

परिसीमन आयोग (Delimitation Commission in hindi or Parisiman Aayog) स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से प्रक्रिया की देखरेख में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

परिसीमन जहां समान प्रतिनिधित्व और प्रभावी शासन जैसे लाभ लाता है, यह राजनीतिक नतीजों और विविध हितों को संतुलित करने के मामले में भी चुनौतियां भी पेश करता है।

2026 में आगामी परिसीमन भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने के लिए महत्वपूर्ण महत्व रखता है और देश के भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य (political landscape) को आकार देगा।

यदि आगामी सरकार परिसीमन के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लेती है, तो उसे निष्पक्षता और पारदर्शिता के बारे में उठाई गई चिंताओं को दूर करने की आवश्यकता होगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न। Frequently Asked Questions (FAQs).

Q1: परिसीमन क्या है? What is Delimitation in Hindi or Parisiman kya hota hai or parisiman meaning in hindi?

Ans 1: परिसीमन (Parisiman or Delimitation in hindi) का शाब्दिक अर्थ या परिभाषा है किसी देश या प्रांत में विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की क्रिया या प्रक्रिया।

Q2: भारत में परिसीमन क्यों किया जाता है? Why is Delimitation carried out in India or Parisiman kyon kiya jaata hai ?

Ans 2: परिसीमन, मतदाताओं के लिए समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए चुनावी निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं (boundaries of electoral constituencies) को फिर से परिभाषित करने की प्रक्रिया है। यह जनसंख्या वितरण में परिवर्तन को समायोजित करने, ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के सिद्धांत को बनाए रखने और जनसांख्यिकीय बदलाव के कारण असंतुलन को दूर करने के लिए किया जाता है।

Q3: परिसीमन आयोग क्या है और इसका गठन क्यों किया जाता है? What is Parisiman Aayog or Delimitation Commission of India and Why is it Formed?

Ans 3: परिसीमन आयोग (delimitation commission in hindi or Parisiman Aayog) एक उच्चाधिकार निकाय है, जिसे भारत में परिसीमन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए गठित किया जाता है।

Q4: भारत की स्वतंत्रता के बाद से कितनी बार परिसीमन आयोग या परिसीमन आयोग का गठन किया गया है? How many times Parisiman Aayog or Delimitation Commission have been formed since the independence of India?

Ans 4: अब तक भारत में 4 बार परिसीमन आयोग का गठन किया जा चुका है।

  •  वर्ष 1952 में परिसीमन आयोग अधिनियम 1952के अधीन;
  • वर्ष 1963 में परिसीमन आयोग अधिनियम 1962 के अधीन;
  • वर्ष 1973 में परिसीमन अधिनियम 1972 के अधीन;
  • वर्ष 2002 में परिसीमन अधिनियम 2002 के अधीन।

Q5: अगला परिसीमन आयोग कब गठित होगा? When will the next Delimitation Commission be constituted?

Ans 5: अगला परिसीमन आयोग 2026 में गठित होगा।

Q6: वर्ष 2002 गठित परिसीमन आयोग ने परिसीमन प्रक्रिया को 2026 तक क्यों स्थगित किया? Why did the Delimitation Commission constituted in the year 2002 postpone the delimitation process till 2026?

Ans 6: भारत के संविधान में 84वां संशोधन, जो 2002 में पारित किया गया था, ने वर्ष 2026 के बाद की पहली जनगणना के बाद तक निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर रोक लगा दी थी। यह निर्णय परिसीमन प्रक्रिया को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने से रोकने और निष्पक्षता की चिंता (concern for fairness) के मद्देनजर किया गया था। इसलिए 2002 में गठित परिसीमन आयोग इस प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाया।

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आंचल बृजेश मौर्य एक एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है और अपनी पढ़ाई के साथ साथ भारतीय कानूनों और विनियमों (Indian laws and regulations), भारतीय संविधान (Indian Constitution) और इससे जुड़ी जानकारियों के बारे में लेख भी लिखती है। आंचल की किसी भी जटिल विषय को समझने और सरल भाषा में लेख लिखने की कला और समर्पण ने लॉपीडिया (LawPedia) की सामग्री को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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